गण्डमूल:
- गण्डमूल नक्षत्र छः प्रकार के होते हैं l अगर जातक गण्डमूल नक्षत्र में पैदा हुआ हो तो उस नक्षत्र की शांति करवाना अति अनिवार्य है l अगर गण्डमूल नक्षत्र की शांति नहीं हुई होती तो जातक को पग – पग पर मुश्किलों का सामना करना पड़ता है l
- चन्द्रमा का नक्षत्र ही गण्डमूल के नक्षत्र के लिए देखा जाता है l अगर किसी जातक को चन्द्रमा का नक्षत्र देखना समझ न आता हो तो वह महादशा से भी इसका ज्ञान कर सकता है l
- अगर किसी भी जातक की महादशा बुध से या केतु की महादशा से शुरू होती हो तो इस का मतलब है जातक गण्डमूल नक्षत्रों में पैदा हुआ है l
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चन्द्रमा के छः गण्डमूल के नक्षत्र हैं –
- अश्विनी
- मघा
- मूला
- अश्लेषा
- ज्येष्ठा
- रेवती
- वैसे तो जातक के जन्म से 27वें दिन गण्डमूल का पूजन करवाना अति अनिवार्य है l लेकिन अगर इस का पता बाद में चले तब भी इसका एक बार पूजन करवाना अति अनिवार्य है l इसमें आयु का कोई बंधन नहीं होता है l इस पूजन में माता, पिता या बच्चा कोई भी इसकी शांति करवा सकता है l
- गण्डमूल पूजन करवाने के लिए इस बात को ध्यान में रखा जाए कि गण्डमूल के जिस नक्षत्र में जातक का जन्म हुआ उसी नक्षत्र में गण्डमूल पूजन होता है l
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