- कुण्डली के पंचम भाव तथा पंचम भाव के स्वामी से जातक के प्रेम सम्बन्ध को देखा जाता है l
- प्रेम – सम्बन्ध की स्थायी सफलता इस सम्बन्ध के विवाह – सम्बन्ध में बदलने से होती हैं l इसके लिए पंचमेश तथा सप्तमेश का कोई भी सम्बन्ध होना अति – आवश्यक है l
- यदि पंचमेश और सप्तमेश का कोई भी सम्बन्ध हो जाये तो भी लव मैरिज का योग बनता है l
- लव मैरिज की सफलता के लिए पंचम भाव तथा सप्तम भाव के स्वामी का सही भाव में पड़ा होना अति अनिवार्य है l
- यदि कुण्डली में पंचमेश या सप्तमेश बलहीन, अशुभ या बुरे भाव में हो तो प्रेम – विवाह सफल नहीं हो पाता है l
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