🆕 रोग विश्लेषण (मिथुन लग्न कुंडली) 👉🏾 स्वस्थ कैसे रहें ? 🏽 Remedies for Good Health
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आधुनिक समय के भाग – दौड़ एवं वयस्तता भरे जीवन मे प्रत्येक मनुष्य अपनी आकांछाओं और धन – प्राप्ति के पीछे ऐसा वयस्त है कि वह पूर्णतः अपने खान – पान, रहन-सहन और जीवन शैली पर सही ध्यान नहीं दे पता l इसलिए हर मनुष्य अपने स्वास्थय – सम्बन्धी छोटी-छोटी परेशनियों से भी साथ – साथ संघर्ष करता रहता है l Kiara Astrology Research Centre के माध्यम से हम यह प्रयास करने की कोशिश कर रहे है कि आप ज्योतिष-विद्या के माध्यम से साधारण उपायों द्वारा अपने रोग – सम्बन्धी समस्यायो को कम कर पायँ एवं स्वयं के जीवन को जीने लायक बना सकें l
जातक की जन्म लग्न कुण्डली में रोग और स्वास्थ्य ग्रहों के मारकेत्व और कारकेत्व पर निर्भर करतें है l ग्रह की बलाबल क्षमता से भी रोगों का पता चलता है l मारक ग्रहों से रोग बढ़ता है और कारक ग्रह से उसके कम होने की संभावना होती है l
प्रायः यह देखा गया है कि साधारण मनुष्य रोग – उपचार मे इतना धन व्यय कर लेता है कि खर्चा भी उनकी परेशानी बन जाती है l इस पुस्तक से आपको यह पता चलेगा कि छोटे -छोटे उपाय कर के भी रोग से बचने मे सहायता मिल सकती है l रोग विश्लेषण के लिए यह बात ध्यान मे रखना अति अनिवार्य है कि हमारी जन्म कुण्डली मे छठा (6th) भाव रोग भाव होता है और छठे भाव का स्वामी रोगेष कहलाता है l महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रत्येक लग्न कुण्डली मे रोग -भाव तथा रोगेष का विश्लेषण करने का तरीका बदल जाता है l आगे सभी लग्न कुण्डलीयो कि विस्तृत जानकारी दी जा रही है ताकि आप भली प्रकार से जान पायँ कि कुण्डली के अनुसार आपको रोग के लिए क्या – क्या उपाय करने हैंl
रोगों के कारक ग्रह :
सूर्य देव : हड्डिओं के रोग, ह्रदय रोग, आँखों सम्बन्धी रोग I
चन्द्रमा देव : मानसिक रोग, आँखों के रोग, शरीर व पेट के जल सम्बन्धी रोग, निमोनिया, फेफड़ो के रोग
मंगल देव : खून से सम्बंधित रोग, ब्लड प्रेसर, शुगर, थायरॉइड, कॉलिस्ट्रोल, शारीरिक शक्ति, . माँसपेशिओ के रोग
बुध देव : त्वचा से सम्बंधित रोग, यादाश्त सम्बन्धी रोग, दिमाग सम्बन्धी रोग, दिमाग सम्बन्धी . रोग, तुतलाना, हकलाना, व कंठ के रोग l
बृहस्पति देव : लीवर, चर्बी, किडनी, मोटापा सम्बन्धी रोग l
शुक्र देव : गुप्तांग सम्बन्धी रोग, नपुंसकता l
शनि देव : शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द, लम्बी बीमारी l
राहु देव : सभी तरह की संक्रामकता, कुष्ठ रोग, अपगता, पागलपन, वहम l
केतु देव : रीढ़ की हड्डी, हड्डिओं के बीच में तरलता, कैंसर, बबासीर, फोड़े- फुन्सी, दाँत . … सम्बन्धी रोग l
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