- शुक्र देवता इस लग्न कुण्डली में रोगेष बने जो 6th भाव के स्वामी भी हैं और लग्नेश भी हैं l
- अगर शुक्र देवता उदय अवस्था में तीसरे, पांचवे (नीच का), छठे , आठवें और बारहवें भाव मे स्थित हैं तो सर्वदा इसका दान करके हम रोग को कम कर सकतें हैं l इन भावों में स्थित शुक्र देवता का रत्न कभी भी धारण नहीं किया जाता l
- यदि शुक्र देवता कुण्डली के 1st (Lagna), 2nd, 4th, 7th, 9th, 10th & 11th भाव मे स्थित हैं तो शुक्र देवता का ओपल रत्न धारण करने से रोगों में कमी आती हैI
अस्त अवस्था के शुक्र देव कुण्डली में कहीं भी किसी भाव में स्थित हैं तो उनका रत्न धारण किया जा सकता है I इससे रोग कम करने मे सहायता मिलती है और लग्न भी मजबूत होता है I
Learn Astrology in just 7 – 10 days :
रोगों के कारक ग्रह :
- सूर्य देव : हड्डिओं के रोग, ह्रदय रोग, आँखों सम्बन्धी रोग I
- चन्द्र देव : मानसिक रोग, आँखों के रोग, शरीर व पेट के जल सम्बन्धी रोग, निमोनिया, फेफड़ो के रोग
- मंगल देव : खून से सम्बंधित रोग, ब्लड प्रेसर, शुगर, थायरॉइड, कॉलिस्ट्रोल, शारीरिक शक्ति, माँसपेशिओ के रोग
- बुध देव : त्वचा से सम्बंधित रोग, यादाश्त सम्बन्धी रोग, दिमाग सम्बन्धी रोग, तुतलाना, हकलाना, व कंठ के रोग l
- बृहस्पति देव : लीवर, चर्बी, किडनी, मोटापा सम्बन्धी रोग l
- शुक्र देव : गुप्तांग सम्बन्धी रोग, नपुंसकता l
- शनि देव : शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द, लम्बी बीमारी l
- राहु देव : सभी तरह की संक्रामकता, कुष्ठ रोग, अपगता, पागलपन, वहम l
- केतु देव : रीढ़ की हड्डी, हड्डिओं के बीच में तरलता, कैंसर, बबासीर, फोड़े- फुन्सी, दाँत सम्बन्धी रोग l
शुक्र देव के दान व उपाय: (शुक्रवार को करना है)
(Note: वृष लग्न कुण्डली में शुक्र देव के दान सिर्फ तभी होंगे जब शुक्र देव गलत भाव (3rd, 5th, 6th, 8th, 12th भाव) में उदय अवस्था में बैठे हों I)
- चीनी दान करना, चावल दान करना, आटा दान करना, सफ़ेद मिठाई (रसगुल्ला, छेना मुर्की, बर्फी) दान करना, इत्र दान करना, जरकन (ओपल) दान करना, सौंदर्य प्रधान वस्तुओं का दान करना, मिश्री दान करना l नोट:-पत्नी, प्रेमिका के साथ मधुर संबंध रखना, स्त्रियों का आदर करना l
- हर शुक्रवार को कच्चे दूध (1/2 cup) से स्नान करें और शुक्र देव के मंत्र का जाप करें l (ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः ॥ (or) ऊँ शुं शुक्राय नम: )
About the Author & Astrologer :
The author, Somvir Singh has pursued his Mechanical Engineering from HBTU Kanpur in 2012. Later, he joined IIT Roorkee for Post graduation, and after an year he left the institute due to financial problem and joined PSU HEC Ltd, Ranchi in January 2014. Thereafter, he faced some unforeseen problem in life and consulted to a few astrologers but none were to his satisfaction nor the problem went away. And this is when his journey begun in the field of astrology. After doing research in astrology for more than a couple of years, he has put his learnings and findings in 217 pages as “Self Made Destiny”. In this book, he has covered all articles scientifically.
The book is specifically written for anyone who likes to read day-to-day astrology predictions, want to know about yourself and eventually learn astrology.
The book is dedicated to his wife who had been a constant support in this journey.
Best Astrologer Award in Global Business Award 2021, New Delhi from Miss Prachi Desai
Mr. Somvir Singh (B.Tech – HBTU Kanpur, M.Tech – IIT Roorkee, Expertise in Vedic Astrology)
Author : Self Made Destiny (Astrology Book), ISBN: 978-93-5427-087-1
If you are looking for kundali analysis, gemstones analysis, then book appointment
Learn Astrology From E-Book:
Live Chat Support:
Timings: 11:00 AM to 6:00 PM
For Appointment:
Download “Kiara Astrology App” From Google Play Store and Give your Ratings & Feedback.