1. Learn Astrology With Scientific Reasons

शनि देव की साढ़ेसाती और ढैया के उपाय

एक भी कारक ग्रह शनि देव के सामने आ जाए या उस कारक ग्रह की दृष्टि शनि देव पर पड़ जाए तो वह शनि देव के अशुभ प्रभाव को कम करने में सहायक होती है lपीपल को सादा जल देना चाहिए (किसी भी समय पीपल को जल दिया जा सकता है क्यूंकि पूरे ब्रह्माण्ड में …

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घर में ना लायें तोता, कबूतर, कछुआ जैसे जानवर !

कई बार लोग वास्तुशास्त्र के अनुसार घरों में कछुआ, तोता, कबूतर वगेरा जानवर रख लेते हैं l जिससे उन जानवरों की आजादी छिन्न जाती है और उसका बुरा प्रभाव परिवार पर पड़ता है l इसलिए मछलियों को तालाब पर जाकर खाना डालें और पक्षियों को छत्त पर या किसी खुले स्थान पर बाजरा वगेरा डालें …

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ग्रहों की मित्रता और शत्रुता

देव और दानव ग्रहों का चार्ट सभी देव ग्रह आपस में मित्र हैं l सभी दानव ग्रह आपस में मित्र हैं l बुध ग्रह की सभी दानव ग्रहों से मित्रता है l बुध ग्रह की सूर्य ग्रह से मित्रता है l चन्द्रमा और मंगल ग्रहों से बुध ग्रह की अति शत्रुता है l बुध ग्रह …

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राशियाँ, राशियों के तत्व तथा राशियों के स्वभाव

राशियों के तत्व (FEAW): अग्नि तत्व (Fiery) –> 1.  मेष       5.  सिंह       9. धनु पृथ्वी तत्व (Earthy) –> 2.  वृष       6.  कन्या    10. मकर वायु तत्व (Airy) –> 3.  मिथुन    7.  तुला      11. कुंभ जल तत्व (Watery) –> 4.  कर्क     8.  वृश्चिक    12. मीन अग्नि तत्व राशियाँ: (1. मेष, 5. सिंह, 9. धनु) : यदि लग्न में 1, 5, 9 नम्बर की …

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राहु देव का गोमेद रत्न समाज में रहने वाले किसी भी प्राणी को नहीं पहनना चाहिए

राहु देव का गोमेद रत्न समाज में रहने वाले किसी भी प्राणी को नहीं पहनना चाहिए क्यूंकि राहु देव के कारक तत्व गलत है I सब से बड़ा बीमारी का कारक राहुदेव है I चोरी, डकैती, लूटमार, ठगी, नशा करना, जुआरी, शराबी, अय्याशी करना, नाजायज सम्बन्ध यह सब कार्य गोमेद पहनने से बढ़ जाते हैं …

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कुण्डली में स्थित 12 भावों (घरों) की पूरी जानकारी

कुण्डली के बारह भावों के नाम इस प्रकार हैं : तन भाव  धन भाव भ्राता भाव माता भाव संतान भाव रोग भाव जया भाव आयु भाव भाग्य भाव कर्म भाव लाभ भाव खर्च भाव नोट – कुण्डली का हर भाव शरीर के एक अंग को दर्शाता है I Learn Astrology in just 7 – 10 …

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ज्योतिष विद्या में किसी भी प्रकार का निवारण करने के लिए चार सूत्र अपनाए जाते हैं l

जल प्रवाह  दान-पुण्य पाठ – पूजन  रत्न धारण करना 1. जल प्रवाह : यदि कोई भी ज्योतिष विद्वान किसी भी जातक को उपाय में कोई भी वस्तु जल प्रवाह करने के लिए कहता है तो इसका अर्थ यह है कि जिस ग्रह से सम्बंधित वह वस्तु है, उस वस्तु को पानी में डालने से उस …

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Basics of Astrology (ज्योतिष)

Basics of Astrology प्रस्तावना: ज्योतिष विज्ञान की जिज्ञासा लोगों में इसलिए ज्यादा होती है क्यूंकि मनुष्य को भविष्य के गर्भ में क्या छिपा है ऐसे जानने की इच्छा हमेशा बनी रहती है । इसलिए हर इन्सान इस विद्या का कहीं न कहीं सहारा लेकर अपना भविष्य जानने की कोशिश करता है । इस विद्या की …

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