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वृश्चिक लग्न कुण्डली में रोगों का विश्लेषण

मंगल देव इस लग्न कुण्डली में रोगेष के साथ – साथ लग्नेष भी हैं l 3rd , 6th , 8th , 9th (नीच का ) और 12वें भाव में अगर उदय अवस्था के मंगल देव स्थित हैं तो उनका रत्न मूंगा नहीं पहना जाता है l सिर्फ मंगल देव के दान करके ही रोगों को कम …

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तुला लग्न कुण्डली में रोगों का विश्लेषण

बृहस्पति देवता इस लग्न कुण्डली मे 6th भाव के स्वामी होने के कारण रोगेश हैं l वह लग्नेश शुक्र देवता के शत्रु पार्टी के हैं l इस जन्म लग्न कुण्डली वाले जातकों को पुखराज धारण करना वर्जित माना जाता है l बृहस्पति के दान और पाठ करके जातक रोगों को कम कर सकते हैं l …

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कन्या लग्न कुण्डली में रोगों का विश्लेषण

शनि देव इस लग्न कुण्डली में रोगेष हैं पर साथ – साथ अधिपति पंचमेष भी हैं l उदय अवस्था के शनि देव यदि 3rd , 6th , 8th और 12th  भाव  मे स्थित है तो उनके दान – पाठ करके रोगों को कम किया जा सकता है l इन भावों में पड़े शनि देव का …

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सिंह लग्न कुंडली में रोगों का विश्लेषण

शनि देवता इस लग्न कुण्डली में रोगेष हैं वह लग्नेश सूर्य देव के शत्रु हैं l इस लग्न कुण्डली वाले जातकों के लिए शनि का रत्न नीलम पहनना वर्जित माना जाता है l शनि के दान करके जातक रोगों को कम कर सकता है l शनि का पाठ भी रोगों को कम करने मे सहायक …

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कर्क लग्न कुंडली में रोगों का विश्लेषण

इस लग्न कुण्डली मे 6th भाव के स्वामी बृहस्पति देवता हैं l वह नवम भाव के स्वामी भी हैं l अगर बृहस्पति देवता उदय अवस्था के 3rd , 6th , 7th (नीच के), 8th और 12th भाव में स्थित हैं तो उनका दान करके रोगों को कम किया जाता है l अस्त अवस्था के बृहस्पति किसी …

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मिथुन लग्न कुण्डली में रोगों का विश्लेषण

मंगल देवता इस जन्म लग्न कुण्डली में 6th भाव के स्वामी हैं और रोगेष हैं l जो लग्नेश बुध के अति  शत्रु हैं l इस लग्न कुण्डली वाले जातको के लिए मूँगा सर्वदा वर्जित माना जाता है l मंगल की वस्तुओं का दान करने से जातक को रोगों को कम करने में सहायता मिलती है …

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वृष लग्न कुण्डली में रोगों का विश्लेषण

शुक्र देवता इस लग्न कुण्डली में रोगेष बने जो 6th भाव के स्वामी भी हैं और लग्नेश भी हैं l अगर शुक्र देवता उदय अवस्था में तीसरे, पांचवे (नीच का), छठे , आठवें और बारहवें भाव मे स्थित हैं तो सर्वदा इसका दान करके हम रोग को कम कर सकतें हैं l इन भावों में …

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मेष लग्न कुण्डली में रोगों का विश्लेषण

मेष लग्न कुण्डली में छठा (6th) भाव के स्वामी बुध देव हैं जो लग्नेश मंगल के अति शत्रु है l मेष लग्न वाले जातक को बुध का पन्ना कभी भी धारण नहीं करना चाहिए l अगर कोई जातक धारण करता है तो उसका रोग बढ़ने का योग बन जाता है l सभी मेष लग्न वाले …

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रोग – विश्लेषण: रोग होने के कारण क्या है ?

आधुनिक समय के भाग – दौड़ एवं वयस्तता भरे जीवन मे प्रत्येक मनुष्य अपनी आकांछाओं और धन – प्राप्ति के पीछे ऐसा वयस्त है कि वह पूर्णतः अपने खान – पान, रहन-सहन और जीवन शैली पर सही ध्यान नहीं दे पता l इसलिए हर मनुष्य अपने स्वास्थय – सम्बन्धी छोटी-छोटी परेशनियों से भी साथ – साथ  …

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कार्तिक मास का जन्म शुभ या अशुभ ?

कार्तिक मास का मतलब यह होता है कि इस महीने में सूर्य देव तुला राशि अर्थात नीच राशि में भ्रमण कर रहे होते हैं l इसलिए इस मास में जन्मे जातकों के लिए यह मास अशुभ माना जाता है l क्यूंकि सारे ग्रह सूर्यदेव से रोशनी लेते हैं l अगर सूर्यदेव नीच राशि में आ …

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